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== इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती द्वारा साहित्य कृति सम्मान ==
[[चित्र:Wikipedia.jpg|left|thumb|200px]]इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती द्वारा साहित्य कृति सम्मान समारोह का आयोजन हिंदी भवन में किया गया। मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री डा॰ सुब्रहाण्यम स्वामी थे। विशिष्ट अतिथि भारत भवन भोपाल के अध्यक्ष दया प्रकाश सिन्हा थे। वरिष्ठ साहित्यकार रामशरण गौड़ (साहित्य भारती सम्मान),साहित्य एवं हिन्दी के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पूर्व महापौर महेश चंद्र शर्मा (हिंदी सेवी सम्मान) जगमोहन सिंह राजपूत (डा॰नगेंद्र सम्मान),परमानंद पांचाल (जैनेन्द्र कुमार सम्मान),रमा सिंह(भवानी प्रसाद मिश्र सम्मान)
बलराम मिश्र (नरेंद्र मोहन सम्मान ) अमर गोस्वामी (डा॰रामलाल वर्मा सम्मान),पूरन चंद्र टंडन(विजयेन्द्र स्नातक सम्मान ) जयदेव डबास (कमला रत्नम सम्मान) कीर्ति काले (सत्यपाल चुग सम्मान),हरगुलाल (आचार्य चतुर सेन सम्मान), राजेंद्र त्यागी (यशपाल जैन सम्मान), मनोहरपुरी (गुरुदेव सम्मान),मनोहर लाल रत्नम(प्रशांत वेदालंकार सम्मान) और राजवीर सिंह क्रांतिकारी को (घनानंद सम्मान) दिया गया । समारोह के मुख्य अतिथि पुर्व केंद्रीय मंत्री डा॰ सुब्रह्मण्यम स्वामी थे । उन्होनें समाज रचना में साहित्यकारों की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला।
श्री स्वामी ने कहा कि संकट के इस दौर में साहित्यकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है । समारोह के विशिष्ट अतिथि भारत भवन, भोपाल के अध्यक्ष डा॰ दया प्रकाश सिन्हा ने कहा कि भारतीय संस्कृति में धर्म एक सेकुलर अवधारणा है।
समारोह को संबोधित करने वालों ने अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुर्यकृष्ण, कैलाश हाँस्पिटल, नोयडा के अध्यक्ष डा॰ महेश शर्मा,साधना चैनल के अध्यक्ष राकेश गुप्ता आदि नाम उल्लेखनीय हैं ।
 
 
== नरेश शांडिल्य की किताब का लोकार्पण ==
[[चित्र:Main_Sadiyon_ki_Pyas.jpg|left|thumb|200px]]नरेश शांडिल्य के संग्रह में अनेक मुकम्मल ग़ज़लें हैं। रचना का सबसे बड़ा कार्य यही है कि वह जिस शिद्दत से कही गई है, उससे भी अध्कि शिद्दत से पाठकों तक पहुंचे। ये विचार सुप्रसिद्ध साहित्यकार-आलोचक प्रभाकर श्रोत्रिय ने हिन्दी भवन में २६ नवम्बर, २००६ को अन्तरराष्ट्रीय संस्था 'अक्षरम्‌' द्वारा आयोजित नरेश शांडिल्य के ग़ज़ल संग्रह 'मैं सदियों की प्यास' के लोकार्पण के अवसर पर व्यक्त किये। ग़ज़ल संग्रह का लोकार्पण सुप्रसि( ग़ज़लकार बालस्वरूप राही ने किया। प्रभाकर श्रोत्रिय ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। लोकार्पण के अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार डॉ. रामदरश मिश्र ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नरेश की ग़ज़लों में जीवन के विभिन्न पक्ष उजागर हुए हैं तथा इनमें सादगी के साथ-साथ प्रतिरोध् और व्यंग्य भी है। अन्य वक्ताओं में प्रो. सादिक, डॉ. सीतेश आलोक, लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, अम्बर खरबन्दा, अमरनाथ अमर, विज्ञान व्रत, अनिल जोशी और शशिकान्त प्रमुख थे।
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