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जीवन के रंग / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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15 जनवरी
अम्बर भी चुप है
चुप है पौन।
97
जग है झूठा
क्या बचा अब पास
विश्वास टूटा।
98
थके बहुत
कुछ आराम करें
कल है जाना।
8/12/2024
</poem>
वीरबाला
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