Changes

{{KKCatGhazal}}
<poem>
 जब भी तू मेहरबान होता है
दिल मेरा बदगुमान होता है
जीत लेता है दुश्मनों के दिल
जो जब कोई ख़ुशबयान ख़ुश बयान होता है
रोज ख़तरों से खेलने वाला
हो जो शाइर हक़ीक़तन ऐ 'रक़ीब'
वो ही अहले ज़बान होता है
 
</poem>
493
edits