Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=येगिशे चारेन्त्स |अनुवादक=अनिल ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=येगिशे चारेन्त्स
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
मेरे मन में तुम सुलगती और जलती हो,
मेरे मन में अग्नि ज्वाला सी भड़कती हो,
अनन्त समय तक जलने वाली अग्नि में
तुम स्फटिक सी निर्मल बन चमकती हो।

मैं अभागा, दुख़ी हूँ बेहद और हूँ लाचार
रंज में हूँ वैसे ही मैं, जैसा मेरा
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,273
edits