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पैसे बचाने की आदत
अछ्छी अच्छी है डियर
किंतु जब तुम
पुरानी साड़ी को फाड़कर
अपनी नई योजना सुनाई
तो क़सम से
उस रात नीन्द नींद नहीं आईतुम कर कह रही थी-"काकी,
गेहूँ तीन रुपये का
एक किलो बिकता है
आस्तीन और गले पर ड़ाल दूँ
सड़ी साड़ी में से एक क्या दो कुर्ते निकल आएँगे
साड़ी चल चुकी है दस साल
कुर्ते भी कुछ साल चल जएँगे।"
इसकी चाह नहीं
क्या बचत करने की
कोइ कोई और राह नहीं?
हे, सुनो!
पुराना पेटिकोट
और फैशन निकल आयेगा
एक नये जामे का।
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