Changes

}}<poem>
हमारे एक मित्र हैं
रहने वाले हैं रीवां रीवाँ के
एजेंट हैं बीमा के
मिलते ही पूछेंगे-"बीमा कब कर रहे हैं।"
मानो कहते हो-"कब मर रहे हैं?"
फिर धीरे से पूछेंगे-"कब आऊँ
कहिए तो दो फोर्म फ़ार्म लाऊँ
पत्नी का भी करवा लीजिए
एक साथ दो -दो रिस्क कव्हर कीजिए
आप मर जाएँ तो उन्हे फायदा
वो मर जाएँ
शाम को घर पहुंचे
तो टेबिल पर उन्ही का पत्र रखा था
लिखा था - "फर्म फ़ार्म छोड़े जा रहा हूँ
सोच समझकर भर दीजिए
प्रीमियम के पैसे
कि जीवन-बीमा वाले
याद करेंगे जीवन भर
एक-एक उत्तर मे झूल जएंगेजाएंगेबीमा करना ही भूल जएंगेजाएंगे
प्रश्न था-"नाम?"
शराब, गांजा, अफ़ीम
मीठा लगता है नीम।"
-"कोई बीमाती बीमारी है?"
-"हाँ, दिल की
उधरी उधारी के बिल की
होती है धड़धड़ाहट
पेट में गड़हड़ाहटगड़गड़ाहट
माथे में भनभनाहट
पैरो में सनसनाहट
-"कोई दुश्मन है?"
-"हाँ है
निवसी निवासी रीवाँ का
एजेंट बीमा का।"
कि आपका केस
रजिस्टर हो गया है इसी वर्ष।"
<\/poem>