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लफ़्ज़ झूठे अदाकारियाँ ख़ूब थीं / ज्ञान प्रकाश विवेक
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15:20, 3 दिसम्बर 2008
नासमझ बर्फ़ की सिल्लियाँ खूब थीं
मेरी
आँ खॊम
आँखों
के सपने चुराते रहे-
दोस्तों की हुनरमन्दियाँ ख़ूब थीं
द्विजेन्द्र द्विज
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