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दुख के सितम हज़ार मगर मुस्कुरा के देख / ज्ञान प्रकाश विवेक
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06:11, 7 दिसम्बर 2008
जब मैं हुआ उदास तो बच्चों ने ये कहा-
‘काग़ज़
कि
की
कश्तियाँ या घरोंदे बना के देख’
मैंने ये सब चराग़ हवा से जलाए हैं-
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