अली सरदार जाफरी का जन्म ०१ नवम्बर, 1913 को बलरामपुर में हुआ था. वह एक प्रगतिशील लेखक आंदोलन के संस्थापकों में से एक थे. उन्होंने दिल्ली के अंग्लो-अरेबिक कॉलेज से स्नातक की उपाधि की थी , पहली अगस्त सन २००० में मुंबई में उनका स्वर्गवास हो गया. सरदार जाफ़री ने कई विधाओं और स्टाइल में लिखा. वह आलोचक भी थे. अच्छे फ़िल्मसाज़ भी थे. प्रभावशाली वक़्ता भी थे और उनके साथ 99 शायरी के संकलनों के शायर भी थे. इनमें ‘परवाज़’ (1944), ‘जम्हूर’ (1946), ‘नई दुनिया को सलाम’ (1947), ‘ख़ूब की लकीर’ (1949), ‘अम्मन का सितारा’ (1950), ‘एशिया जाग उठा’ (1950), ‘पत्थर की दीवार’ (1953), ‘एक ख़्वाब और (1965) पैराहने शरर (1966), ‘लहु पुकारता है’ (1978) हैं.
सरदार अब हमारी दुनिया में नहीं है. लेकिन उन्होंने अपनी नज़्म 'मेरा सफ़र' में फ़ारसी के शायर रूमी के एक मिसरे के ज़रीए जीवन की मौत पर विजय की बात कही है.