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शब्द / प्रयाग शुक्ल
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12:02, 1 जनवरी 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रयाग शुक्ल
|संग्रह=
यह जो हरा है
अधूरी चीज़ें तमाम
/ प्रयाग शुक्ल
}}
<Poem>
जो था सोच में
वह नहीं रहा
पूरा का पूरा
शब्द में ।
पर रहे शब्द--
पता देते
उस सोच का ।
</poem>
अनिल जनविजय
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