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शब्द / प्रयाग शुक्ल

24 bytes added, 12:02, 1 जनवरी 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रयाग शुक्ल
|संग्रह=यह जो हरा है अधूरी चीज़ें तमाम / प्रयाग शुक्ल
}}
 <Poem>
जो था सोच में
 
वह नहीं रहा
 
पूरा का पूरा
 
शब्द में ।
 
पर रहे शब्द--
 
पता देते
 
उस सोच का ।
</poem>
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