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खुमानी, अखरोट! / गुलज़ार

2 bytes removed, 01:06, 7 जनवरी 2009
ख़ुमानी को पाँव से उठाकर, तुग़यानी में कूद गया।
अख़रोट अब भी उस जानिब देखा करता है, जिस जानिब दरिया बहता है।अख़रोट का क़द कुछ सहम ग्या गया है
उसका अक़्स नहीं पड़ता अब पानी में!
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