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~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*[[category: ग़ज़ल]] <poem>
चाँद तन्हा है आसमां तन्हा,
 
दिल मिला है कहाँ कहाँ तन्हा
बुझ गई आस छुप गया तारा,
 
थरथराता रहा धुँआ तन्हा
जिंदगी क्या इसी को कहते हैं,
 
जिस्म तन्हा है और जान तन्हा
हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
 
दोनों चलते रहें तन्हा तन्हा
जलती बुझती सी रोशनी के परे,
 सिमटा -सिमटा -सा एक मकां तन्हा
राह देखा करेगा सदियॊं तक
 छॊड़ जाएगें ये जायेंगे यह जहाँ तन्हा