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चीख़ / अशोक वाजपेयी
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,
12:58, 11 जनवरी 2009
:अंधेरा था
:इमारत की उस काई
-
भीगी दीवार पर,
:कुछ ठंडक-सी भी
:और मेरी चाहत की कोशिश से सटकर
Eklavya
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