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सदस्य वार्ता:Eklavya

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सादर
अनिल जनविजय
 
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आदरणीय अनिल जनविजय जी,
 
आपके तुरंत उत्तर के लिए आभारी हूँ। क्योंकि सदस्य नाम नहीं था तथा मैंने भी लेखक के मुख्य पृष्ठ पर जा कर सही से नहीं देखा इसलिए कारण पूछने की नौबत आई। पुराने (और बहुत से नये) कड़ुवे अनुभव भी अपना असर दिखाते हैं।
 
मैं यथासंभव अपना योगदान जारी रखूंगा। आशा है कविताकोश हिंदी कविता के लगभग सारे भंडार को एक जगह उपलब्ध कराके एक मिसाल बन सकेगा। आज की तारीख में भी यहाँ ऐसा संग्रह तैयार हो चुका है जैसा शायद कम ही पुस्तकालयों में मिलेगा। हम जैसे ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर में काम करने वालों को इससे नई उम्मीद बंधती है - पाठक की दृष्टि से तो ये खजाने जैसा है ही।
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