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मुँह काला / तुलसी रमण

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|रचनाकार=तुलसी रमण
|संग्रह=ढलान पर आदमी / तुलसी रमण
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दीप्त मुखमण्डल पर
काला टीका
दूध और छाछ में
बुझा हुआ अंगार
आलीशान कोठी के माथे पर
एक भयानक, वीभत्स मुखौटा
बिट्टू, निट्टू और सपना की
सुन्दर गाड़ी की ठोड़ी पर
लटकता फटा पुराना उल्टा जूता
अगली से अगली सदी में भी
दादा के परदादा की साथ रहेगी बात
दूसरे का मुंह काला करने के लिये
हर बार कालिख से पोतना होता है
अपना उजला चेहरा
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