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09:40, 15 जनवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गजानन माधव मुक्तिबोध
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<poem>
बेचैन चील!!
उस जैसा मैं पर्यटनशील
प्यासा-प्यासा,
देखता रहूँगा एक दमकती हुई झील
या पानी का कोरा झाँसा
जिसकी सफ़ेद चिलचिलाहटों में है अजीब
इनकार एक सूना!!
</poem>