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प्रात / ओमप्रकाश सारस्वत

No change in size, 16:04, 15 जनवरी 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत
|संग्रह=दिन गुलाब होने दो / ओम प्रकाश ओमप्रकाश् सारस्वत
}}
 
<Poem>
प्रात हुई
कुचिपुड़ि
दस्तक दे
आंगन आँगन के द्वार
दूब ने
हल्की की
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