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देख तो दिल कि जाँ से उठता है / मीर तक़ी 'मीर'
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06:22, 16 जनवरी 2009
इश्क इक 'मीर' भारी पत्थर है
बोझ कब नातावां से उठता है
.
'''शब्दार्थ ''' - आशोब -चीत्कार, आर्तनाद ।
Amitprabhakar
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