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नूरा / मजाज़ लखनवी
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17:37, 16 जनवरी 2009
मताए जवानी पे फ़ितरत का पहरा
मेरी हुक्मरानी है अहले ज़मीं पर
यह
तहरी
तहरीर
था साफ़ उसकी जबीं पर
सफ़ेद और शफ़्फ़ाफ़ कपड़े पहन कर
मेरे पास आती थी इक हूर बन कर
द्विजेन्द्र द्विज
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