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बरसों के बाद कभी / गिरिजाकुमार माथुर
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13:10, 8 सितम्बर 2006
बरसों के बाद कभी<br>
हमतुम
हम तुम
यदि मिलें कहीं,<br>
देखें कुछ परिचित से,<br>
लेकिन पहिचानें ना।<br><br>
याद भी न आये नाम,<br>
रूप, रंग, काम, धाम,<br>
सोचें,यह
सम्मभव
सम्भव
है -<br>
पर, मन में मानें ना।<br><br>
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घनश्याम चन्द्र गुप्त