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वतन / सीमाब अकबराबादी
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12:17, 18 जनवरी 2009
वतन में मुझको जीना है,वतन में मुझको मरना है
वतम
वतन
पर ज़िन्दगी को एक दिन क़ुरबान करना है
द्विजेन्द्र द्विज
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