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वतन / सीमाब अकबराबादी

1 byte added, 12:17, 18 जनवरी 2009
वतन में मुझको जीना है,वतन में मुझको मरना है
वतम वतन पर ज़िन्दगी को एक दिन क़ुरबान करना है