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17:29, 18 जनवरी 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=अवतार एनगिल
|एक और दिन / अवतार एनगिल
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<poem>
प्रयोगशाला की चमचमाती मेज़ पर
वैज्ञानिक चिकित्सक ने
काटकर बिछा दिया
निरीह बनमानुष
वन से नगर तक की यात्रा की कीमत
गुरिल्ले ने चुकाई
पहले स्वतंत्रता
फिर जान गँवाई
</poem>