गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
प्रतीक्षा / चन्द्रकान्त देवताले
4 bytes removed
,
02:00, 19 जनवरी 2009
एक धब्बा धडकनों तक जाकर
फैलता जा रहा है
यहाँ बाहर कितनी
साड़ी
सारी
रेत बिछी है
और फूलों के बीज
कसी हुई मुट्ठी के पसीने में नहा रहे हैं
शायद तुम्हारे समय के क्षितिज पर
कोई सूर्यमुखी फूल हँसता हुआ मिले...
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,753
edits