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19:39, 20 जनवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनूप सेठी
}}
<poem>
आओ
बैठें
खाली बिल्कुल
दुनिया के बीच बाज़ार
ठाले से
दुनिया की चीख पुकार
अपना सन्नाटे का शोर
सब छोड़-छाड़
हों मगन
अगन ठाले की
बैठें
पैठें
कहीं तो होगा
कुछ तो पार
(1986)
</poem>