हदी <poem>हिन्दी साहित्य की साठोत्तरी कविता के शलाका पुरुष स्व. सुदामा प्रसाद पाण्डेय धूमिल अपने बागी तेवर व समग्र उष्मा के सहारे संबोधन की मुद्रा में ललकारते दिखते हैं। तत्कालीन परिवेश में अनेक काव्यान्दोलनों का दौर सक्रिय था, परंतु वे किसी के सुर में सुर मिलाने के कायल न थे। उन्होंने तमाम ठगे हुए लोगों को जुबान दी। कालांतर में यही बुलन्द व खनकदार आवाज का कवि जन-जन की जुबान पर छा गया।
9 नवंबर 1936 को बनारस के खेवली गांव में जन्मे सुदामा पाण्डेय की प्रारंभिक शिक्षा गांव की प्राथमिक पाठशाला में हुई। हरहुआ के कूर्मि क्षत्रिय इण्टर कालेज से सन् 1953 ई. में हाईस्कूल की परीक्षा पास की। आगे की पढाई के लिए बनारस गये तो, मगर अर्थाभाव के चलते उसे जारी न रख सके। फिर क्या, आजीविका की तलाश में वे काशी से कलकत्ता तक भटकते रहे। नौकरी भी मिली तो लाभ कम, मानसिक यंत्रणा उन पर ज्यादा भारी पडी। वर्षो का सिरदर्द अंतत: ब्रेनट्यूमर बनकर मात्र उनतालिस वर्ष की अल्पायु में ही, उनकी मृत्यु का कारण बना।