गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
पंथ होने दो अपरिचित / महादेवी वर्मा
1 byte added
,
16:35, 14 मई 2007
दूसरी होगी कहानी <br>
शून्य में जिसके मिटे स्वर, धूलि में खोई निशानी;<br>
आज जिसपर प्यार
विस्मित
विस्मृत
,<br>
मैं लगाती चल रही नित,<br>
मोतियों की हाट औ, चिनगारियों का एक मेला!<br><br>
Anonymous user
Ramadwivedi