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कवि: [[केदारनाथ अग्रवाल]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल]]}}
 ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*   :जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है :तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है :जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है:जो रवि के रथ का घोड़ा है:वह जन मारे नहीं मरेगा:नहीं मरेगा
:जो जीवन की आग जला कर आग बना है:फौलादी पंजे फैलाए नाग बना है:जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है:जो युग के रथ का घोड़ा है:वह जन मारे नहीं मरेगा:नहीं मरेगा