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जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है / केदारनाथ अग्रवाल
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14:32, 24 जनवरी 2009
|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल
}}
<poem>
जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा
</poem>
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