गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अंजाम से डरने वाले / सरोज परमार
95 bytes added
,
12:50, 29 जनवरी 2009
[[Category:कविता]]
<poem>
अंजाम से डरने वाले
दिन भर की जी
-
हुज़ूरी के बाद
किसी शाम घण्टों
हम अपने ड्राइंग रूम में
बहस के मुद्दे
मेम
में
अथवा शहर के चुनिन्दा
कॉफ़ी हाउस में
बहस के मुद्दे में
बरबस
भ्रष्टाचार को लपेट लेते हैं
व्यवस्था को ताने देते हैं
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits