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इस ख़ौफ़नाक दौर में / सरोज परमार
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02:52, 30 जनवरी 2009
तुम्ही बताओ किन भरोसेमन्द हाथों में
सौंप दूँ अपनी नन्हीं बुलबुल.
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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