गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
इस ख़ौफ़नाक दौर में / सरोज परमार
4 bytes added
,
02:53, 30 जनवरी 2009
इस दुरभिसन्धियों के ख़ौफ़नाक दौर में
कहाँ है मुकम्मल सुख?
तुम्ही
तुम्हीं
बताओ किन भरोसेमन्द हाथों में
सौंप दूँ अपनी नन्हीं बुलबुल.
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits