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यह कविता विजय बहादुर सिंह के विदिशा निवास को लक्ष्य कर लिखी गई जो अब सिर्फ़ इतिहास भर बचा है।
'''विजय बहादुर सिंह : हिन्दी के कवि और प्रतिष्ठित आलोचक। कलकत्ता से प्रकाशित हिन्दी की पत्रिका 'वागर्थ' के सम्पादक। कविता कोश में कविताएँ उपलब्ध हैं।
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