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त्रयोदश प्रकरण / श्लोक 1-6 / मृदुल कीर्ति
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<poem>
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जनक उवाचः
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कौपीन धारण पर भी दुर्लभ, जो अवस्था चित्त की,
वह कुछ नहीं के भाव से, अनुभूति होती नित्य की.-----१
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