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08:45, 4 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=तेज राम शर्मा
|संग्रह=बंदनवार / तेज राम शर्मा}}
[[Category:कविता]]
<poem>
बचपन में
पशु चराने जब वन जाते थे
तो बच्चों में
तेज़ धार के औज़ार से
जंगली कैक्टस के तने को
काटने की स्पर्धा होती थी
जीत उसकी होती थी
जिसके कटे तने से
टपकता था
कैक्टस का दूध देर तक
इस स्पर्धा में
जब दूध
शरीर पर छिटक जाता था
तो जल जाती थी सारी चमड़ी
मैं प्रतीक्षा कर रहा हूँ
कि टहनी से दूध का टपकना बंद हो
प्रतीक्षा कर रहा हूँ आज तक।
</poem>