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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=श्रद्धा जैन|संग्रह=}}[[Category:ग़ज़ल]]<poem>आप भी अब मिरे गम बढ़ा दीजिए <br>मुझको लंबी उमर की दुआ दीजिए <br><br>
मैने पहने है कपड़े, धुले आज फिर <br>तोहमते अब नई कुछ लगा दीजिए <br><br>
रोशनी के लिए, इन अंधेरों में अब <br>कुछ नही तो मिरा दिल जला दीजिए <br><br>
चाप कदमों की अपनी मैं पहचान लूं <br>आईने से यूँ मुझको मिला दीजिए <br><br>
गर मुहब्बत ज़माने में है इक खता<br>आप मुझको भी कोई सज़ा दीजिए <br><br>
चाँद मेरे दुखों को न समझे कभी <br>चाँदनी आज उसकी बुझा दीजिए <br><br>
हंसते हंसते जो इक पल में गुमसुम हुई <br>राज़ "श्रद्धा" नमी का बता दीजिए<br><br/poem>