Changes

उतना-उतना / केशव

756 bytes added, 18:44, 6 फ़रवरी 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव }} <poem> ...
{{KKGlobal}}

{{KKRachna

|रचनाकार=केशव
|संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव
}}
<poem>
आदमी

प्यार कर सकता है
जितना-जितना
जी सकता है
उतना-उतना

विष पी सकता है
उतना जितना
अमृत में नहीं उसका हिस्सा
जिस तरह हवा भरती है
खोखल में
उसी तरह प्यार भरता है
मुझमें
और शायद उन सब में भी
जिनके जीवन में नहीं है
कोई दरख्त।
</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits