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ओझल मोड़ / रेखा

6 bytes added, 21:54, 6 फ़रवरी 2009
असमंजस में काठ होते चेहरे
ओझल मोड़ पर
घूम रहा है-पूरा ब्रह्मांड ब्रह्माँड और मेरे-तुम्हारे पाँव।
</poem>
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