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एक आदमी / धूमिल
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19:11, 8 फ़रवरी 2009
धक्का खायी हुई 'रीम' की तरह
उदास - फैल जाता है
मेरे पास
अक्सर
एक आदमी आता है
और हर बार
मेरी डायरी के अगले पन्ने पर
बैठ जाता है।
</poem>
Eklavya
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