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फिर घर / अशोक वाजपेयी

3 bytes removed, 00:54, 9 फ़रवरी 2009
और हमेशा की तरह बिना कुछ बोले
हमें देखेंगे और मेज पर लगा रात का खाना खाएंगे
और खखूरेंगे अल्मारी अलमारी में कोई मीठी चीज़।
हम थककर सो जाएंगे
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