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फिर घर / अशोक वाजपेयी
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00:54, 9 फ़रवरी 2009
और हमेशा की तरह बिना कुछ बोले
हमें देखेंगे और मेज पर लगा रात का खाना खाएंगे
और खखूरेंगे
अल्मारी
अलमारी
में कोई मीठी चीज़।
हम थककर सो जाएंगे
Eklavya
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