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बंद पड़े हैं दरवाजे
सोया हुआ है सारा मुहल्‍ला
सिर्फ कभी-कभी सुनाई पड़ती है
रात की दस्‍तक-
'अवनि' घर में हो ?

बारह मास यहां वर्षा होती है
बारहों मास यहां उमड़ते-घुमड़ते हैं मेघ
चरती हुई गाय की तरह
गंदी नाली में उगी घास ने
बढ़कर छेंक लिया है समूचे दरवाजे को-
'अवनि' घर में हो ?

भरे हुए मन से
फैले हुए दुखों के बीच
मैं सो जाता हूं लगाकर बिस्‍तर
कि अचानक सुनता हूं फिर वही दस्‍तक-
'अवनि' घर में हो ?
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