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|रचनाकार= श्रद्धा जैन
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[[Category:गज़लग़ज़ल]]
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 अफ़साना –ए-ए- उल्फ़त है, इशारों से कहेंगे
गर तुम न सुनोगे, तो सितारों से कहेंगे
हम सिद्क़-ओ-इबादत से कभी अzमअज़्म-ओ-अदा से बस अहद -ए- मोहब्बत, इन्हीं चारों से कहेंगे
आगोश में मिल जाए समंदर जो वफ़ा का
आँखों में हैं जल जाते, वफाओं के जो जुगनू
जज़्बात ये “श्रद्धा” के, हज़ारों से कहेंगे
 
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