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''{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=अविनाश |संग्रह=}}<Poem>'''श्रावणी''' के लिए''<br /><br />छोटी -सी चादर रजाई -सा भार<br />फाहे -सी बेटी हवा पर सवार<br />मां माँ की, बुआ की हथेली कहार<br />रे हैया रे हैया<br />रे डोला रे डोला<br /><br />चावल के चलते सुहागन है सूप<br />जाड़े की संगत में दुपहर की धूप<br />सरसों की मालिश में खिला -खिला रूप<br />रे हैया रे हैया<br />रे डोला रे डोला<br /><br />छोटे-से घर में है बालकनी एक<br />बेटी है ठुमरी उम्‍मीदों की टेक<br />चादर को देती है पांवों पाँवों से फेंक<br /><br />रे हैया रे हैया<br />रे डोला रे डोला<br /><br />उजाले का दिन अंधेरे की रात<br />उनींदे में हंस हंस हँस-हँस के करती है बात<br />फूल -सी फुहारे -सी नन्‍हीं सौगात<br />रे हैया रे हैया<br />रे डोला रे डोला</poem>