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सर्द ठंडी रातों में / रंजना भाटिया
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13:51, 12 फ़रवरी 2009
सर्द ठंडी रातों में
नग्न अँधेरा ,
एक भिखारी
-
सा...
यूँ ही इधर-उधर डोलता है
तलाशता है
एक गर्माहट
कभी बुझते
दिए
दीये
की रौशनी मेंकभी काँपते
पेडों
पेड़ों
के पत्तों में
कभी खोजता है कोई सहारा
वस्त्रहीन
राते
रातें
काट लेता है !!
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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