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ज़ौक़
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20:09, 13 फ़रवरी 2009
}}
*[[ इस तपिश का है मज़ा दिल ही को हासिल होता/ ज़ौक़]]
*[[ जान के जी में सदा
जाने
जीने
का ही अरमाँ रहा/ज़ौक़]]
*[[ तेरा बीमार न सँभला जो सँभाला लेकर/ ज़ौक़]]
*[[ अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे/ ज़ौक़]]
विनय प्रजापति
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