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09:27, 14 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=
}}
<poem>
सागर किनारे
खेलते दो बच्चों ने
मिलकर घरौंदे बनाए
देखते-देखते
लहरों के थपेड़े आए
उनके घर गिराए
और
भागकर सागर में जा छिपे
माना, कि सदैव ऎसा हुआ
तो भी
किसी भी सागर के
किसी भी तट पर
कहीं भी
कभी भी
बच्चों ने खिलौने बनाने बन्द नहीं किए
</poem>