677 bytes added,
07:25, 16 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रवीन्द्रनाथ त्यागी
|संग्रह=
}}
<poem>
हिंडोले जैसी झूमती पाग़ल ऋतु
वक्ष-सी फड़कती हवाएँ
तुम्हारी साड़ी की भाँति पहली हरी-हरी घास
वर्षा का अनन्त क्रम
झील-सा डूबेगा दिन
निगाहें फिर मुड़ गईं घड़ी की ओर
वही एक सच्ची दिशा
हो गया दफ़्तर चलने का वक़्त
</poem>