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19:09, 16 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रवीन्द्रनाथ त्यागी
|संग्रह=
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प्यार, घुड़कियाँ, फ़ाइलें और हजामत
कान्वेन्ट के लिए तैयार होना बच्चों का
बढ़ते दाम, ईर्ष्या, सुख-दुख और भय
ऋतु का हिंडोला और चन्द्रमा का जाल
पहाड़ों पर डाक बंगले में चाय का कप
चेकबुक, प्राविडेंट फ़ंड,
कविता और सैकिन्ड शो
देह की भूख, शाम की उदासी
और कभी-कभी एक चेहरे की याद
रेल की पटरियों की तरह
अपने ही नीचे दबी
पाप और पुण्य से विरक्त
हम सबसे उदासीन
गुज़रता जा रहा है चालाक वक़्त
हमारे ही माध्यम से
हम सबसे ऊपर
वह फिर कभी नहीं लौटेगा
कभी नहीं।
</poem>