गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
गुलाब / सौरीन्द्र बारिक
225 bytes added
,
15:41, 17 फ़रवरी 2009
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सौरीन्द्र बारिक
|संग्रह=
}}
<Poem>
तुम्हारे अधर का रंग इस गुलाब में
और मेरा ही रूधिर उस अधर में
कहीं मेरा रूधिर बड़े चाव से तुम अपने जूड़े में
लेप तो नहीं रही ?
'''मूल उड़िया से अनुवाद - वनमाली दास
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits