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08:00, 18 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आग्नेय
|संग्रह=मेरे बाद मेरा घर / आग्नेय
}}
<Poem>
एक चिड़िया
प्रतिदिन मेरे घर आती है
जानता नहीं हूँ उसका नाम
सिर्फ़ पहचानता हूँ उसको
वह चहचहाती है देर तक
ढूँढती है दाने :
और फिर उड़ जाती है
अपने घर की ओर
पर उसका घर कहाँ है?
घर है भीउसका
या नहीं है उसका घर?
यदि उसका घर है
तब भी उसका घर
मेरे घर जैसा नहीं होगा
लहूलुहान और हाहाकार से भरा
फिर क्यों आती है
वह मेरे घर
प्रतिदिन चहचहाने
</poem>