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08:53, 18 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आग्नेय
|संग्रह=मेरे बाद मेरा घर / आग्नेय
}}
<Poem>
यद्यपि
उसने डसने से पहले
कई रंग बदले
वह गिरगिट नहीं था
बदलते रंगों का यह परिवर्तन
सिर्फ़ प्रकृति की माया नहीं थी
उसकी आत्मा भी
भूरी मटमैली और काली थी
रंग बदलने वाली
उसकी चमड़ी की तरह
दरअसल वह गिरगिट था ही नहीं
वह साँप था
डसे जाने के पहले
उसे ऎसा प्रमाणित करने के लिए
मेरे पास पर्याप्त सबूत नहीं थे।
</poem>